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हिंदी अनुवाद के क्षेत्र में रोजगार के नए आयाम एवं अपार संभावनाएं

हिंदी अनुवाद के क्षेत्र में रोजगार के नए आयाम एवं अपार संभावनाएं!

by Himanshi

हिंदी अनुवाद के क्षेत्र में रोजगार के नए आयाम – ग्लोबलायजेशन (भूमंडलीकरण) के परिणाम स्वरूप तेजी से बदलते परिदृश्य में दुनिया में अनुवाद के क्षेत्र में रोजगार के अवसर में  वृद्धि हुई है। अनुवाद (Translation) दो देशों, उनकी भाषा एवं संस्कृति को आपस में जोड़ने में एक सेतु का काम करता है। एक भाषा में कही गई बात को दूसरी भाषा में कहना अनुवाद कहलाता है, जैसे हिंदी भाषा में कहे गए किसी कथन को अंग्रेजी में कहना अनुवाद है हालाकिं अनुवाद का इतिहास काफी पुराना है लेकिन आज वैश्वीकरण (Globalisation) के दौर में जब दो अलग- अलग भाषा के लोग संपर्क, संचार और व्यापार कर रहे है तो अनुवाद की भूमिका और भी बढ़ जाती है और यह अनुवाद करना किसी मशीन का काम नही है। कंप्यूटर के आने से अनुवाद (Translation) काफी हद तक आसान हो गई है लेकिन अनुवाद के लिए पूरी तरह से मशीन पर निर्भर नही रहा जा सकता। 

क्यूंकि सटीकता से ट्रांसलेशन करना अभी भी मशीन की पहुँच से बाहर है तथा मानवीय हस्तक्षेप/ह्यूमन इंटरवेंशन (Human Intervention) की जरुरत पड़ती ही है। फ़िलहाल मशीन या कंप्यूटर द्वारा अनुवाद बहुत कम देखने को मिलता है, और अनुवाद करवाने वाले ज्यादातर संगठन किसी व्यक्ति से अनुवाद करवाना पसंद करते हैं, जिसे अनुवादक (Translator) कहा जाता है। ये सभी अनुवादक प्रोफेशनल होते हैं। और इन्हें Translation करने के लिए अच्छा वेतन दिया जाता है। अगर आप थोड़ा लिखने-पढने का शौक रखते हैं तो अनुवाद के क्षेत्र में करियर एक अच्छा विकल्प हो सकता है| 

हिंदी अनुवाद के क्षेत्र में रोजगार के नए आयाम एवं अपार संभावनाएं

भारत में अनुवादक की जरूरत सरकारी और निजी क्षेत्र दोनों को ही है, और आने वाले समय में इसकी मांग बढ़ने की उम्मीद है। आज बाजारवाद के इस दौर में हम Translation के क्षेत्र में रोजगार के कई विकल्प उभरते हुए देख सकते हैं। इस लेख के माध्यम से भारतीय परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए हिंदी से अंग्रेजी और अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद से सम्बंधित जानकारी उपलब्ध करने का प्रयास है, लेकिन ध्यान रखने की बात है कि अनुवाद किसी भी दो भाषाओ के बीच हो सकता है।

आज के प्रतिस्पर्धात्मक दौर में अनुवाद के क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। सभी सरकारी कार्यालयों में राजभाषा हिन्दी को अधिकाधिक बढ़ावा दिया जा रहा है। समस्त प्रपत्र (Forms), ज्ञापन (Memorandum), परिपत्र (Circulars), सूचना (Information), अधिसूचना (Notification) एवं विज्ञापन (Advertisement) द्विभाषी (Bilingual) English एवं Hindi भाषा में जारी किये जाते हैं, जिसके लिए अनुवादक की आवश्यकता पड़ती है। कई प्रपत्रों, अभिलेखों (Records) का अंग्रेजी से हिन्दी एवं हिन्दी से अंग्रेजी में अनुवाद किया जाता है। इसके लिए सरकारी तथा गैर-सरकारी संस्थानो में हिन्दी अनुवादक की नियुक्ति की जाती है ।

अनुवाद के क्षेत्र में एक सफल करियर के निर्माण के लिए प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है। एक शीर्षस्थ अनुवादक बनने के सभी तरीकों, तरकीबों और युक्तियों को जानना जरुरी हो जाता है। एक अनुवादक के रूप में सफल होना कई कारक पर निर्भर करता है। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अनुवादक जिस भाषा संयोजन के साथ काम करने का निर्णय लेता है, उससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि अनुवाद सेवाओं की कितनी मांग हो सकती है।

ड्रैगोस सियोबानू, वियना विश्वविद्यालय में मशीनी अनुवाद और कम्प्यूटेशनल शब्दावली के प्रोफेसर के अनुसार, कभी-कभी, इन-हाउस अनुवाद नौकरियों की तुलना में इन-हाउस प्रोजेक्ट प्रबंधन नौकरियां ढूंढना आसान हो सकता है। इसलिए छात्रों को अपनी भाषा चयन के बारे में रणनीतिक और सामरिक रूप से सोचना चाहिए।

इसके अलावा, एक अनुवादक जिस पेशेवर (Professional) सेटिंग में शामिल होता है वह आवश्यक अनुवाद के प्रकार के लिए निर्णायक हो सकता है। कुछ लोग अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ बातचीत करने वाले सरकारी संस्थान में काम करना पसंद करते हैं, तो कुछ ऐसे उद्यम में काम करना पसंद करते हैं जो वैश्विक विकास की राह पर है। अनुवादक के रूप में करियर उन कई लोगों के लिए आकर्षक है जो कहीं से भी और किसी भी समय फ्रीलांसर (Freelancer) के रूप में काम करने के लचीलेपन की सराहना करते हैं। इस प्रकार की स्वायत्तता उन्हें शुरू से ही अपने अनुवाद करियर के लगभग हर पहलू पर निर्णय लेने की अनुमति देती है।

अनुवाद के प्रकार एवं क्षेत्र
  • बैंकिंग क्षेत्र 
  • राजभाषा ऑफिसर
  • साहित्य क्षेत्र 
  • मीडिया क्षेत्र 
  • विज्ञापन क्षेत्र 
  • पर्यटन क्षेत्र 
  • ट्रांसलेटर
  • इंटरप्रिटेशन

 बैंकिंग और अनुवाद

Table of Contents

पूंजी के लेन-देन को लेकर एक परंपरागत बैंकिंग व्यवस्था का अपना एक लम्बा इतिहास है किंतु भारत की आधुनिक बैंकिंग व्यवस्था अंग्रेजी शासन की देन है। इसके परिणामस्वरूप हम देख सकते हैं कि भारतीय बैंकिंग व्यवस्था पर पश्चिम का प्रभाव है। आज भी भारतीय बैंकों में मूल लेखन पत्र फॉर्म, प्रचार सामग्री, दस्तावेज आदि मूलतः अंग्रेजी में ही तैयार किए जाते हैं। राजभाषा सम्बन्धी संवैधानिक विधिक प्रावधानों (Constitutional Legal Provisions) के कारण बैंक भी राजभाषा (Official Language) प्रयोग के दायरे में आ जाते हैं जिसके कारण उनके कार्यों में अनुवाद को एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि बैंकिंग का सम्बन्ध आमजन और उसकी पूंजी से है, इसलिए आमजन की भाषा में बैंकिंग की कार्यप्रणाली को समझाना और पत्र-व्यवहार भारतीय बैंक व्यवस्था के लिए अनिवार्य है। बैंकिंग के क्षेत्र में हिंदी का प्रयोग मूलतः दो स्तरों पर होता है –

  •  राजभाषा (Official Language) के स्तर पर
  •  जनभाषा/लोक-भाषा (Lingua Franca) के स्तर पर

द्विभाषिकता (Bilingualism) की नीति के अनुसार प्रशासन आदि विविध क्षेत्रों के साथ बैंकिंग में व्यवहार में हिंदी में मूल लेखन का चलन नहीं हो जाता तब तक अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी का प्रयोग अनिवार्य है। राजभाषा के रूप में सभी केंद्रीय कार्यालयों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के समान बैंकिंग सम्बन्धी तकनीकी और गैरतकनीकी प्रलेख दोनों भाषाओं में जारी किए जाएं। मूल रूप से अंग्रेजी में लेखन होने के कारण अंग्रेजी में प्रयुक्त शब्द, पद (Phrase), वाक्य विन्यास (Syntax) आदि विचारों के आदान-प्रदान हेतु उपयुक्त होते हैं । ऐसे में अनुवादक के समक्ष चुनौती और बड़ी हो जाती है कि हिंदी जो प्रशासनिक क्षेत्रों में मात्र अनुवाद की भाषा बन कर रह गई है वहां अंग्रेजी के सटीक प्रयोगों के समक्ष किस तरह और अधिक विश्वसनीय बनाया जा सके। ऐसी स्थिति में अनुवादक से निम्नलिखित अपेक्षाएं की जाती है |

बैंकिंग साहित्य के अनुवादक से अन्य किसी विषय के अनुवादक की तरह यह अपेक्षा की जाती है कि उसे कथ्य का ज्ञान हो यानी मूल पाठ के संदर्भ की समझ। बैंकिंग के क्षेत्र की कार्यप्रणाली कैसी है, उसका भाषा प्रयोग कैसा है, उसमें किस तरह का पत्र-व्यवहार होता है, बैंकिंग के संबंधित अन्य क्षेत्र कौन से हैं, उसके अंतर्गत कितने विभाग हैं, उसमें किस-किस तरह की योजनाएं हैं तथा कौन-कौन सी नई योजनाएं आ रही हैं आदि का ज्ञान अनुवादक से अपेक्षित है। अनुवादक से यह अपेक्षा की जाती है उसे सम्बद्ध भाषा प्रयोग के मुहावरे की और संदर्भ की समझ हो, सही शब्दों के चयन में वह सावधानी बरते ताकि वह मूल भाषा के लिए निकट समतुल्य शब्द खोज सके। 

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स्रोत और लक्ष्य भाषा का ज्ञान

स्रोत और लक्ष्य भाषा का ज्ञान होना किसी भी क्षेत्र के अनुवादक के लिए अनिवार्य है। किंतु जैसे ही हम क्षेत्र विशेष या कहें कि प्रयोजनमूलक (Purpose Based) भाषा की बात है तो अनुवादक की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। चूंकि प्रयोजनमूलक भाषा हमें स्वतः ही प्राप्त नहीं हो जाती उसके लिए अनुवादक को विशेष योग्यता तथा प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। इस प्रशिक्षण के तहत अनुवादकों को प्रयोजन (Purpose) विशेष की भाषा के क्षेत्र में उचित जानकारी प्रदान की जाती है, उन्हें संबंधित एजेंसियों, शब्दकोश, पारिभाषिक शब्दावली आदि तथा व्यावहारिक ज्ञान दिया जाता है जिनके माध्यम से वे सम्बद्ध भाषा में काम कर सकते हैं।

इसी के परिणामस्वरूप अनुवादक में सही शब्दों के सही चयन की समझ विकसित हो पाती है। उदाहरण के लिए Loan, Advance, Credit और Debit जैसे शब्दों के अर्थ की सूक्ष्म भिन्नता को समझना जितना कठिन है उतना ही आवश्यक भी है। ऐसी स्थिति में या तो अनुवादक अपने अनुभव के आधार पर शब्द चयन करेंगे, या पारिभाषिक शब्दावली पर निर्भर करेंगे या प्रयोग के आधार पर मूल शब्दों का ही प्रयोग करेंगे। इसी तरह Subsidy शब्द के लिए अनुदान, उपदान, परिदान, आर्थिक सहायता आदि जैसे शब्दों का प्रयोग देखने को मिलता है।

सटीक तथा सहज भाषा में अनुवाद की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि इनकी अपनी एक पारिभाषिक शब्दावली होती है जिसके आधार पर इनका अनुवाद किया जाता है। किंतु बैंकिंग हिंदी में शब्दों के चयन और निर्माण का कोई सर्वसम्मत आधार नहीं है। हालाकि रिजर्व बैंक ने बैंकिग हिंदी के लिए विशिष्ट, तकनीकी एवं पारिभाषिक शब्दावली का चुनाव  किया गया है किंतु फिर भी समस्या बनी रहती है। ऐसे में अनुवादक की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि ये किस प्रकार सही अभिव्यक्ति तथा शब्दों का चयन करें। अंग्रेजी के अनेक शब्द आज बैंकिंग क्षेत्र में प्रयोग किये जाने लगे हैं जिन्हें मूल स्वरूप में ही स्वीकार कर लिया गया है जैसे चेक, ड्राफ्ट, बजट, कमीशन, नोट, लॉकर, बिल आदि।

आपने देखा कि बैंकिंग क्षेत्र में अनुवाद में कई प्रकार की समस्याएं हैं जिनके समाधान के लिए इस क्षेत्र में और काम किए जाने की आवश्यकता है। अच्छे अनुवादक की समझदारी तथा विषय का ज्ञान सही शब्दों का चयन, वाक्य-विन्यास में सहायक हो सकते हैं। 

राजभाषा ऑफिसर (Official Language Officer)

ये राष्ट्रीयकृत बैंकिंग संस्थानों में राजभाषा ऑफिसर के रूप में कार्य करते हैं। उनकी नियुक्ति बैंक की सभी शाखाओं में होती है। इनकी प्राथमिक भूमिका ग्राहकों की मदद करने के अलावा रोज के कार्यों में राजभाषा के प्रयोग को बढ़ावा देना है। वे विभिन्न आधिकारिक दस्तावेजों का हिंदी में अनुवाद भी करते हैं।

साहित्य (Literature) 

स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत ने अपने संविधान में शासन-प्रशासन और विधि के क्षेत्र में हिंदी के प्रयोग के लिए भाषा योजना की संकल्पना रखी।  भाषा योजना के कुल चार चरण होते हैं

  • चयन (Selection)
  • संहिताकरण (Codification)
  • विशदीकरण (Elaboration/Elucidation)
  • अनुपालन (Compliance)

इसकी स्थापना के पीछे का उद्देश्य शासन-प्रशासन तथा विधि आदि क्षेत्रों के लिए मानक भाषा और पारिभाषिक शब्दावली का निर्माण करना था। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात संविधान निर्माण के दौरान ही यह उपबंध (Provisions) किया गया था कि एक राजभाषा आयोग की स्थापना की जाएगी जो राष्ट्रपति को संघ की राजकीय प्रयोजनों के लिए भाषा के बारे में सिफारिश करेगा।

अनुवाद के प्रकार एवं क्षेत्र

विभिन्न देशों एवं समाजों में बड़े-बड़े राजनेता, फिल्मी हस्तियां आदि आज प्रचार-प्रसार के लिए इन माध्यमों को अपना रहे हैं। ऐसी स्थिति में अब हमारे समक्ष मीडिया की एक बिल्कुल नई भाषा आ खड़ी हुई है जो अनुवादकों के समक्ष एक नई चुनौती है।

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मीडिया 

तकनीकी विकास के साथ मीडिया का दायरा भी लगातार बढ़ता जा रहा है। मीडिया के अंतर्गत प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ एक नया माध्यम सोशल मीडिया भी आकर जुड़ गया है। अब बहुत सारी खबरों से हम सोशल मीडिया के माध्यम से परिचित होते हैं। इसके अंतर्गत फेसबुक, ट्विटर, वॉट्सएप आदि विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म आते हैं जो हमें देश-विदेश तथा विभिन्न विषयों की छोटी-बड़ी खबरों से रूबरू करवाते हैं।

  • प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की बात करें तो इसमें भी विविधता देखी जा सकती है। राजनीतिक, सामाजिक, खेल, मनोरंजन, बाजार आदि विभिन्न भाषाओं के नमूने यहां उपलब्ध हैं। यह तो तय है कि मीडिया के विस्तृत दायरे को देखकर किसी एक पारिभाषिक शब्दावली या कोश काफी नहीं है।
  • सोशल मीडिया मीडिया के इस नए माध्यम की शुरुआत वर्तमान समय की देन है। सोशल मीडिया का प्रयोग अक्सर प्रचार-प्रसार आदि के लिए किया जाता है। विज्ञापन एजेंसियां इसे एक जरूरी माध्यम के रूप में देख रही है। आज बाजार में साहित्यानुवाद से लेकर राजनीति तक अपने विचारों के प्रसार के लिए इन माध्यमों का प्रयोग कर रहे है। इन माध्यमों ने अपनी एक नई भाषा गढ़ी है जिसे समझने की जरूरत है। चूंकि यह अत्यंत नया माध्यम है इसलिए अनुवादक की समझ तथा संचार माध्यम की मांग को ध्यान में रखकर इसका अनुवाद किया जा सकता है।

विज्ञापन 

मीडिया के क्षेत्र में एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र विज्ञापन है। प्रिंट से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सभी जगह विज्ञापनों की मांग है। विज्ञापन दो प्रकार के होते हैं-

  • सूचना प्रधान विज्ञापन
  • व्यावसायिक विज्ञापन 

सूचना प्रधान विज्ञापन के अंतर्गत सरकारी विज्ञापन घोषणाओं, रोजगार, जागरूकता, स्वच्छता आदि संबंधी विज्ञापन आते हैं। व्यावसायिक विज्ञापन ऐसे विज्ञापनों को कहते हैं, जिसके अंतर्गत विभिन्न उत्पादों का प्रचार प्रसार किया जाता है। इन दोनों ही तरह के विज्ञापनों की अपनी विशेष भाषा है। जहाँ सूचना प्रधान विज्ञापन की भाषा एकात्मक तथा अभिधात्मक होती है, वहीं व्यावसायिक विज्ञापनों की भाषा में सर्जनात्मकता (Creativity), चुटीलापन, आकर्षण आदि गुण होते हैं।

विज्ञापनों के अनुवाद में अनुवादकों से अपेक्षा की जाती है कि वे दोनों ही प्रकार की भाषाओं से परिचित हों तथा मांग के अनुसार विज्ञापनों को उसी प्रभावोत्पादकता के साथ अनुवाद कर सकें।

पर्यटन और अनुवाद 

भूमंडलीकृत समय में पर्यटन एक उद्योग बनकर उभरा है। विश्व में अधिकांश देश राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय पर्यटन के लिए सैलानियों को आकर्षित करने का काम कर रहे हैं। अमेरिकी तथा यूरोप के विभिन्न देश फ्रांस, इटली आदि पर्यटन उद्योग में काफी अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। भारत की बात की जाए तो भारत जैसे बहुरंगी व बहुसांस्कृतिक राष्ट्र में भी पर्यटन की अनेक संभावनाएँ हैं तथा भारत राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटकों को आकर्षित करने का प्रयास भी कर रहा है। ऐसे में, विश्व के सभी देशों में पर्यटन एक लाभकारी व्यवसाय बनकर उभर रहा है। भूमंडलीकरण तथा सूचना क्रांति के विस्फोट ने भी लोगों में विभिन्न देश व संस्कृतियों को जानने की रुचि पैदा की है। अनुवाद की दृष्टि से भी इस क्षेत्र में अपार संभावनाएँ हैं। 

पर्यटन में अनुवाद के दोनों ही रूपों में लिखित तथा मौखिक का महत्व है। लिखित अनुवाद जहाँ पर्यटन संबंधी विभिन्न जानकारियाँ, विभिन्न संस्कृतियों के इतिहास, भूगोल, धर्म, दर्शन आदि संबंधी जानकारियों के अनुवाद, के लिए आवश्यक है, वहीं टूरिस्ट गाइड, होटल, पर्यटन स्थलों आदि पर मौखिक अनुवाद अथवा मौखिक अनुवाद की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही, विभिन्न उद्देश्यों से की गई यात्राओं में पर्यटकों को महत्वपूर्ण यात्राओं, मेलों, संगीत समारोहों सम्मेलन आदि में भी मौखिक (आशु) अनुवाद के माध्यम से सूचनाएँ प्रदान की जाती है।

ट्रांसलेटर

आज जिस तरह से पूरा विश्व का एकीकरण हो रहा है उसमें हिंदी ट्रांसलेटर के लिए करियर के नए रास्ते खुल गए हैं। इस फील्ड में अब काम की कोई कमी नहीं है। हिंदी ट्रांसलेटर के तौर पर आप घर पर बैठकर भी काम कर सकते हैं। हालांकि एक बेहतरीन ट्रांसलेटर बनने के लिए आपकी हिंदी के साथ दूसरी भाषा पर भी अच्छी पकड़ होनी चाहिए। कई बड़ी कंपनियां भी अपने कंटेंट को हिंदी में मुहैया कराने के लिए ट्रांसलेटर को नियुक्त करती हैं।

इंटरप्रिटेशन

इंटरप्रेटर का काम भी ट्रांसलेटर की तरह एक लैंग्वेज का दूसरे लैंग्‍वेज में अनुवाद करना होता है। हालांकि इंटरप्रेटर लिखकर नहीं बल्कि बोलकर यह काम करते है। एक इंटरप्रेटर उन शब्दों को ट्रांसलेट करता है, जो दूसरा व्यक्ति अलग भाषा में कहता है। आप इंटरप्रेटर के तौर पर राजनयिक मिशनों, संयुक्त राष्ट्र और विदेशी छात्रों के साथ काम कर सकते हैं।

अनुवाद पाठ्यक्रम कराने वाले अग्रणी संस्थान

  • इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, दिल्ली
  • जवाहरलाल नेहर विश्वविद्यालय
  • दिल्ली भारतीय अनुवाद परिषद, दिल्ली
  • भारतीय विद्या भवन, दिल्ली
  • दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
  • महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, महाराष्ट्र (वर्धा)  

अनुवाद क्षेत्र में नौकरी के  नए आयाम से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न: रोजगार के क्षेत्र में अनुवाद का क्या महत्व है?

उत्तर: हिन्दी आज रोज़गार देने में और अधिक सक्षम भाषा बनती जा रही है। उसमें भी अनुवाद का क्षेत्र रोज़गार प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण साधन है। आकाशवाणी जैसे एक संगठन के लिए एक भाषा से दूसरी भाषा में प्रसारण सामग्री के अनुवाद का आश्रय लेना आवश्यक हो जाता हैं ।

प्रश्न: क्या मैं डिप्लोमा डिग्री के बिना अनुवादक बन सकता हूँ?

उत्तर: हां, आप डिप्लोमा डिग्री के बिना भी कई अधिकारियों के लिए काम कर सकते हैं। हालाँकि, आपको भाषा दक्षता के लिए प्रमाणीकरण की आवश्यकता होगी। डिप्लोमा पाठ्यक्रम आपको रोजगार प्रतिस्पर्धा में शीर्ष पर रखने में मदद करता है।

प्रश्न: क्या मैं अपना डिप्लोमा कोर्स करने के बाद अनुवाद में पीजी डिप्लोमा कर सकता हूँ?

उत्तर: नहीं, यदि आप पीजी डिप्लोमा कोर्स करना चाहते हैं तो आपको किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से अपना स्नातक पाठ्यक्रम पूरा करना होगा।

प्रश्न: क्या अनुवाद में डिप्लोमा का अध्ययन करने के लिए कोई आयु आवश्यकता है?

उत्तर: नहीं, अनुवाद में डिप्लोमा पाठ्यक्रम का अध्ययन करने के लिए कोई विशिष्ट आयु आवश्यकता नहीं है। आपकी आयु न्यूनतम 17 वर्ष होनी चाहिए और डिप्लोमा कोर्स करने के लिए कोई ऊपरी सीमा नहीं है।

प्रश्न: क्या अनुवाद में डिप्लोमा पाठ्यक्रम करने के लिए अंग्रेजी भाषा में दक्षता होना अनिवार्य है?

उत्तर: हां, डिप्लोमा पाठ्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए विशेष भाषाओं में से एक के रूप में अंग्रेजी का होना आवश्यक है क्योंकि अनुवादक नौकरियों के लिए आवेदन करते समय वैश्विक भाषा दक्षता होना अनिवार्य है।

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