जयपुर में जन्मी और पली-बढ़ीं साक्षी अपने पिता के द्वारा प्रेरित हुई हैं, उनके पिता ने उन्हें समझाया था कि “एक लड़की के लिए जरूरी है कि वह बिना किसी पुरुष के मदद से अपने दोनो पैरों पर खड़ी हो।” इसी प्रेरणा के साथ, साक्षी ने अपनी वित्तीय बाधाओं से परे उठकर सकारात्मक बदलाव लाने के लिए कुछ करने का फैसला किया। उन्होंने तब तक नहीं रुकने की ठानी है जब तक कि वह अपने सारे सपने पूरे ना कर लें।
बडी4स्टडी ने उनकी यात्रा के बारे में उनसे बातचीत की और IDFC First Bank स्कॉलरशिप कैसे उनके सपने को पूरा करने में मदद की है। इस स्कॉलर की सफलता की कहानी के कुछ अंश हमने यहाँ दिए हैं।
बडी4स्टडी: आप एमबीए कोर्स क्यों करना चाहते थे?
साक्षी: मैं एमबीए करना चाहती थी क्योंकि इसके बाद एक बेहतर करियर अवसर का मौका मिलता है। यह नए लोगों से मिलने और एक मजबूत प्रोफेशनल नेटवर्क बनाने के लिए एक बड़ा आधार भी बनाता है जो भविष्य में फायदेमंद साबित होता है। इसे करने से मुझे लाभ मिले जो मैंने अपने एमबीए की पढ़ाई के दौरान देखे हैं! जैसे मेरे कम्युनिकेशन स्किल और नॉलेज में बहुत बड़ा बदलाव आया है, और मुझे कॉर्पोरेट दुनिया के बारे में भी गहराई से पता चला है। नए दृष्टिकोण के साथ जीवन जीने और हमारे आसपास के व्यवसायों को भी कैसे प्रभावित किया जा सकता है, ऐसे ही कई तरह के कौशल में मेरी वृद्धि हुई है, जिससे मुझे एक असाधारण संचारक और सलाहकार के रूप में विकसित होने में मदद मिली है। निस्संदेह, ये 2 वर्ष मेरे व्यक्तित्व और विकास को विकसित करेंगे।
बडी4स्टडी: अपने एमबीए के प्रवेश के दौरान आपको किन महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
साक्षी: मेरी चुनौतियों में सबसे पहली चुनौती थी उस कॉलेज का चयन करना जिसमें मुझे एमबीए करना था। अगर मैं भारत के सर्वश्रेष्ठ बी-स्कूलों में से एक में एमबीए की पढ़ाई करती, तो आसानी से 15-18 लाख रुपये या उससे भी अधिक रुपये लगते, जो की मेरे पारिवारिक आर्थिक हालत को देखते हुए असंभव था। इसलिए, अनुभवी वरिष्ठों के साथ चर्चा के बाद, मैंने जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, जयपुर का चयन किया। मेरे सामने एक और चुनौती थी जो वास्तव में अभी भी मुझे और मेरे परिवार पर असर डाल रहा है, वह यह की वित्तीय बोझों के टेंशन से खुद को बचाते हुए अपने आप को प्रेरित और उपेक्षित रखना है।
बडी4स्टडी: आपकी प्रेरणा के स्रोत क्या है जो आपको अपनी पढ़ाई के लिए प्रेरित करता है?
साक्षी: मेरी प्रेरणा के स्रोत हमेशा मेरे पिता ही रहे हैं जिन्होंने मुझे बताया था कि एक लड़की के लिए बड़ा होना और किसी पुरुष पर निर्भर हुए बिना अपने दोनों पैरों पर खड़ा होना आवश्यक है। आर्थिक रूप से इतना मजबूत नहीं होने के बाद भी, वह हमेशा मुझे और अधिक अध्ययन करने और अपने जीवन में कुछ करने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं।
बडी4स्टडी: एक चुनौती को पार करने के लिए आप खुद को कैसे प्रेरित करते हैं?
साक्षी: यह एक दिलचस्प और मुश्किल सवाल है! सबसे पहले, मैं अपने मन में यह मंत्र दोहराती हूं “मैं यह कर सकती हूं” और फिर मैं चुनौती को पार करने के लिए कड़ी मेहनत करती हूं। लेकिन जैसा कि हम जानते हैं, सफल होने के लिए, हमें न केवल कड़ी मेहनत करने की जरूरत होती है, बल्कि स्मार्ट काम भी करना होता। इसलिए मैं हर समय अपनी आंखें और कान खुले रखती हूं और सीखने का अवसर कभी नहीं चूकती। किसी भी चुनौती को पार करने के लिए, मैं हमेशा सकारात्मक रहती हूं, असफलता से कभी निराश नहीं होती और किसी भी परिस्थिति में हार नहीं मानती हूं।
बडी4स्टडी: वित्तीय बाधाओं के बावजूद, आपने एमबीए कोर्स करने का फैसला किया। जब आपने अपने माता-पिता को अपनी महत्वाकांक्षाओं के बारे में बताया तो उनकी क्या प्रतिक्रिया थी?
साक्षी: सौभाग्य से, मैं एक ऐसे परिवार से हूँ, जहाँ हर कोई कम उम्र में शादी करने के बजाय बालिकाओं को शिक्षित करने में विश्वास रखता है। इसलिए, जब मैंने अपने माता-पिता को मेरी अकादमिक आकांक्षाओं के बारे में बताया, तो वे बहुत खुश हुए और मुझे बताया कि मैं जितना चाहे पढ़ाई कर सकती हूं क्योंकि एक महिला के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीज शिक्षित होना और सफल व स्वतंत्र होना है।
बडी4स्टडी: आपको आईडीएफसी फर्स्ट बैंक एमबीए स्कॉलरशिप के बारे में कैसे पता चला? छात्रवृत्ति प्राप्त करने के लिए आपने क्या प्रक्रिया अपनाई?
साक्षी: मुझे जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, जयपुर से आईडीएफसी फर्स्ट बैंक एमबीए स्कॉलरशिप के बारे में पता चला। बडी4स्टडी के माध्यम से हमारे साथ एक लिंक साझा किया गया, जिसमें विभिन्न श्रेणियों के विद्यार्थियों के लिए अलग-अलग छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। इस मंच के माध्यम से, मुझे पता चला कि आईडीएफसी फर्स्ट बैंक एमबीए के इच्छुक लोग जो आर्थिक रूप से मजबूत नहीं हैं को शिक्षित करके अपनी कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी को पूरा कर रहा है।
जिस प्रक्रिया का हमें पालन करना था, वह यह कि, एक ईमेल का जवाब हमें देना था जिसमें अपनी आवश्यक जानकारी और दस्तावेजों को संलंग्न करना था। फॉर्म भरने के बाद, पात्रता मानदंड को पूरा करने वालों को एक टेलीफोनिक साक्षात्कार के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था। साक्षात्कार में उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों को इस स्कॉलरशिप से सम्मानित किया गया।
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बडी4स्टडी: आपने किन– किन बी– स्कूलों के लिए क्वालीफाई किया?
साक्षी: चूंकि मैंने मैट (एमएटी) परीक्षा में 87.86 प्रतिशत स्कोर किया था, इसलिए मैंने जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, बैंगलोर जैसे कई प्रतिष्ठित कॉलेजों के लिए क्वालीफाई किया; एसआईएमएसआरईई मुंबई, आईएफआईएम बिजनेस स्कूल बैंगलोर, क्राइस्ट इंस्टीट्यूट, बालाजी इंस्टीट्यूट पुणे, आदि, लेकिन वित्तीय बोझ के कारण मैंने अपने शहर से बाहर जाना पसंद नहीं किया। गहन शोध के बाद, मैंने जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, जयपुर को ढूंढ निकाला, जो राजस्थान में शीर्ष प्रबंधन कॉलेजों में से एक माना जाता है।
बडी4स्टडी: आपने भविष्य में अपने लिए कौन से लक्ष्य निर्धारित किए हैं?
साक्षी: चूंकि मुझे वित्त में गहरी दिलचस्पी है, मेरा लक्ष्य एक सफल वित्तीय विश्लेषक बनना है, और किसी प्रतिष्ठित संगठन में एक में चीफ फाइनेंसियल ऑफिसर बनना है। मैं शीर्ष के मैनेजमेंट एकाउंटिंग फर्म या बैंकिंग फर्म में से एक में काम करना चाहती हूं। डेलॉयट, केपीएमजी, पीडब्ल्यूसी, ईवाई जैसी बड़ी चार कंपनियां हैं जिन्हें मैं लक्षित करना चाहती हूं।
बडी4स्टडी: उच्च शिक्षा हासिल करने की दिशा में विभिन्न चुनौतियों का सामना करने वाले युवाओं को आप क्या सलाह देंगे?
साक्षी: उच्च शिक्षा को आगे बढ़ाने की दिशा में चुनौतियों का सामना कर रहे विद्यार्थियों के लिए मेरा संदेश है कि कठिनाइयों से कभी न डरें और उनका सामना करने का प्रयास करें। ऐसा कोई भी रास्ता नहीं है जिसमें आपको चुनौतियों का सामना न करना पड़े, उन्हें दूर करना ही एकमात्र रास्ता है। हमें नई चीजों को आजमाने से नहीं डरना चाहिए और असफलताओं से कभी भी नहीं घबराना चाहिए। यदि आप अच्छा कर रहे हैं, तो आप निश्चित रूप से एक रास्ता खोज लेंगे। बस अपने काम और दैनिक दिनचर्या पर ध्यान दें।
बडी4स्टडी: आप अपनी स्कॉलरशिप फंड का उपयोग कैसे करेंगे?
साक्षी: स्कॉलरशिप फंड ने मेरी फीस का बोझ काफी कम कर दिया है क्योंकि पहले मैं एजुकेशन लोन लेने का सोच रही थी। इसके अलावा, मैं कुछ अतिरिक्त सर्टिफिकेट कोर्स करना चाहती थी, जिसका फीस ज्यादा होने के कारण पहले एक मुश्किल काम था, लेकिन अब मैं इन पाठ्यक्रमों को और अधिक आराम से कर सकती हूं।
बडी4स्टडी: अपने पेशेवर जीवन के शुरु होने के बाद, समाज को वापस देने पर आपके क्या विचार हैं?
साक्षी: सामाजिक-सोच वाली होने के नाते, मुझे हमेशा से ही आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों और ऐसे लोगों की मदद करना बहुत अच्छा लगता है, जो वास्तव में मेरे छोटे मोटे तरीकों से बेहद खुश और संतुष्ट होते हैं। एक बार जब मैं एक पेशेवर जीवन की शुरुआत करती हूं, फिर मैं निश्चित रूप से अपनी आय के कुछ हिस्से को जरूरतमंद लोगों के उत्थान और उन्हें शिक्षित करने के लिए अलग रखूंगी।
साक्षी की कहानी आपको कैसी लगी? क्या यह आपको कमियों को भूलने और जो आप चाहते हैं उस पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करता है? यदि हाँ, तो बडी4स्टडी पर अपने लिए खोज शुरू कर दें। शायद यह आपकी भी कहानी होगी जो और लोगों को प्रेरित करेगी।