एन श्रीराम, डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम के एक उत्साही अनुयायी है और उनका मानना है कि कड़ी मेहनत के साथ संयुक्त ज्ञान आपके सभी प्रतिकूलताओं को अवसरों में बदल सकता है। कम उम्र में अपने पिता को खोने के बावजूद, एन श्रीराम अपने दिवंगत पिता के नाम से अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने के सपने को पूरा करने के लिए अटल हैं। इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए, उन्होंने एक अग्रणी बी-स्कूल में दाखिले के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत की। नतीजतन, जब उन्हें पैसों की सबसे अधिक आवश्यकता थी तब ही IDFC First Bank ने उनकी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प को पहचानते हुए उन्हें उपयुक्त वित्तीय सहायता दी।
“कार्रवाई के साथ ज्ञान प्रतिकूलता को समृद्धि में परिवर्तित करता है।” – डाक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
बडी4स्टडी के साथ बातचीत में, उन्होंने अपने अनुभवों और चुनौतियों को साझा किया। इस स्कॉलर की सफलता की कहानी के कुछ अंश हैं।
बडी4स्टडी: कृपया अपनी शैक्षणिक पृष्ठभूमि को संक्षिप्त (कक्षा दसवीं/ बारहवीं के अंक, स्कूल का नाम और कॉलेज का नाम) बतायें। इसके अलावा, मैनेजमेंट प्रोग्राम करने से पहले आपके पास कोई कार्य अनुभव है तो वह भी उल्लेख करें।
एन श्रीराम: मैंने उच्च विद्यालय की शिक्षा एनएसएस पब्लिक स्कूल पेरुन्थनी से 2013-15 में 8.0 सीजीपीए के साथ पूरा किया। मैंने उच्च माध्यमिक शिक्षा सेंट जोसेफ हायर सेकेंडरी स्कूल, केरल सरकार के उच्च माध्यमिक शिक्षा निदेशालय (डीएचएसई) त्रिवेंद्रम के तहत 87 प्रतिशत अंकों के साथ पूरा किया।
बडी4स्टडी: आप एमबीए कोर्स क्यों करना चाहते थे?
एन श्रीराम: एन श्रीराम: मैंने अपने स्वर्गीय पिता के नाम से एक दिन अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने का सपना देखा है। और, व्यवसाय स्थापित करने और चलाने के लिए, कौशल और गुण की आवश्यकता होती है। मुझे विश्वास है कि एमबीए वह पाठ्यक्रम है जो मुझे उन आवश्यक हुनर को विकसित करने में मदद करेगा और मुझे अपने सपने को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए तैयार करेगा।
बडी4स्टडी: अपने एमबीए के प्रवेश के दौरान आपको किन महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
एन श्रीराम: प्रवेश परीक्षा की तैयारी के दौरान मुझे कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ा। जैसा कि मेरे गणितीय कौशल ज्यादा मजबूत नहीं हैं इसलिए परीक्षा की क्वांटिटेटिव एप्टीटुड वाला सेक्शन थोड़ा कठिन था। मुझे इस कठिनाई से निकलने का कोई सही मार्गदर्शन भी नहीं मिला था। मुझे अपने दम पर तैयारी करनी थी और वह भी बहुत कम समय में। साक्षात्कार के लिए खुद को तैयार करना और मेरे कम्युनिकेशन और अंग्रेजी बोलने के कौशल पर भी मुझे काम करना था। एक अन्य समस्या यह भी थी कि एक कॉलेज का चयन करना था जो मेरी आवश्यकताओं के लिए सबसे उपयुक्त होगा।
बडी4स्टडी: आपकी प्रेरणा का स्रोत क्या है जो आपको अपनी पढ़ाई के लिए प्रेरित करता है?
एन श्रीराम: अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने की मेरी महत्वाकांक्षा मुझे प्रेरित करती है और अधिक ज्ञान प्राप्त करने की मेरी इच्छा भी मुझे अपनी पढ़ाई के लिए प्रेरित करती है।
बडी4स्टडी: किसी भी चुनौती को पार करने के लिए आप खुद को कैसे प्रेरित करते हैं?
एन श्रीराम: एमबीए कॉलेज में पढ़ने से पहले, मुझे खुद पर भरोसा नहीं होता था। मुझे यकीन था कि सफल करियर बनाने के लिए मेरे पास कोई कौशल, योग्यता और ज्ञान नहीं है। लेकिन, मेरे आदर्श डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम के एक व्याख्यान ने मेरे संदेह को दूर कर दिया और मुझे एहसास दिलाया कि हर व्यक्ति में कौशल और क्षमताएं हैं। हमें अपने कुशलता को विकसित करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए और बेहतर बनने के लिए लगातार काम करना चाहिए।
बडी4स्टडी: वित्तीय बाधाओं के बावजूद, आपने एमबीए कोर्स करने का फैसला किया। जब आपने अपने माता-पिता को अपनी महत्वाकांक्षाओं के बारे में बताया तो उनकी क्या प्रतिक्रिया थी?
एन श्रीराम: जब मैं बहुत छोटा था तब मेरे पिता का निधन हो गया था। मेरी माँ ही मेरी एकमात्र सहारा है, जो हमारे जरूरतें पूरी करने के लिए घर पर एक छोटी सी दुकान चलाती है। जब उन्हें मेरे फैसले के बारे में पता चला तो वह काफी रोमांचित हो गयी थी, लेकिन कॉलेज की फीस देना उनके लिए संभव नहीं था। मैंने उन्हें इस खर्चों का बोझ नहीं देने का फैसला किया और एक शैक्षिक ऋण लिया। उनका आशीर्वाद मेरे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है जो मुझे आज भी आगे बढ़ने में मदद करता है।बडी4स्टडी: आपको IDFC FIRST Bank MBA स्कॉलरशिप के बारे में कैसे पता चला? स्कॉलरशिप प्राप्त करने के लिए आपने क्या प्रक्रिया अपनाई?
एन श्रीराम: मुझे एक अखबार के माध्यम से छात्रवृत्ति के बारे में जानकारी मिली। छात्रवृत्ति के बारे में एक विज्ञापन था जिसमें Buddy4Study का उल्लेख था। मैंने तुरंत रजिस्ट्रेशन किया और आवेदन प्रक्रिया शुरू की।
बडी4स्टडी: आपने किन बी- स्कूलों के लिए क्वालीफाई किया?
एन श्रीराम: मुझे मेट (एमएटी) में अच्छा स्कोर आया था, इसलिए मैं ऐसे कॉलेजों के लिए योग्य था जो मेट स्कोर स्वीकार करते हैं। मुझे एलायंस यूनिवर्सिटी, इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एंटरप्राइज, क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, राजगिरी बिजनेस स्कूल, आदि कॉलेजों से इंटरव्यू कॉल आये थे। अंत में, मैंने अमृता स्कूल ऑफ बिजनेस में दाखिला लिया।
बडी4स्टडी: आपने भविष्य में अपने लिए कौन से लक्ष्य निर्धारित किए हैं?
एन श्रीराम: फाइनेंस सेक्टर में नौकरी पाना मेरा शार्ट टर्म गोल है और लॉन्ग टर्म गोल अपना व्यवसाय शुरू करना है। मेरा मानना है कि मेरा शार्ट टर्म गोल मुझे मेरे लॉन्ग टर्म गोल को प्राप्त करने में कारगर साबित होंगे।
बडी4स्टडी: उच्च शिक्षा प्राप्त करने में विभिन्न चुनौतियों का सामना करने वाले युवाओं को आप क्या सलाह देंगे?
एन श्रीराम: चुनौती का सामना करना उतना आसान नहीं है। चुनौतियां शारीरिक, मानसिक या बाहरी हो सकती हैं जो आपके अध्ययन के लिए बाधा बन सकती हैं। मेरी राय है कि किसी भी स्तर पर हार नहीं माननी चाहिए। यदि आप किसी चुनौती को पार करना चाहते हैं तो आपको इसका बुरा और अच्छा दोनों हिस्सों का सामना करना होगा। निरंतर प्रयास और अभ्यास हमें कोई कार्य करने के लिए अधिक दक्ष बनाते हैं।
बडी4स्टडी: आप अपनी स्कॉलरशिप फंड का उपयोग कैसे करेंगे?
एन श्रीराम: यह छात्रवृत्ति मेरे लिए एक बड़ी राहत है और इससे मुझे अपनी शिक्षा से संबंधित विभिन्न खर्चों के प्रबंधन में मदद मिली है। इस छात्रवृत्ति के कारण, मुझे भविष्य में और ऋण नहीं लेना होगा।
बडी4स्टडी: अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत करने के बाद, समाज को वापस देने पर आपके क्या विचार हैं?
एन श्रीराम: मैं आदरणीय डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम द्वारा कही गई इन पंक्तियों में भरोसा करता हूँ –
“पीछे मुड़कर देखें तो अनुभव प्राप्त करें। आगे, आशा देखें। चारों ओर देखें और वास्तविकता को ढूंढें। अपने भीतर देखें और खुद को पायें।”
ये चार पंक्तियां हमारे जीवन को सार्थक बनाती हैं। मैं निश्चित रूप से अपने पेशेवर करियर की शुरुआत करने के बाद समाज को वापस देना पसंद करूंगा।
जीवन के इतने उतार-चढ़ाव के बावजूद, एन श्रीराम ने अपनी कमजोरियों पर कड़ी मेहनत की और अपने सपने का पालन करने की ताकत इकट्ठा की। क्या उनकी कहानी आपको अपने सपनों को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है? यदि हाँ, तो आप भी बडी4स्टडी पर अपनी आवश्यकताओं से मिलते छात्रवृत्ति पा सकते हैं। आप भी भविष्य में दूसरों के लिए प्रेरणा बन सकते हैं।