आरुषि अग्रवाल – वर्ष 2010 में एक बड़े पैमाने पर व्यावसायिक नुकसान ने मेरे परिवार पर अत्यंत बुरा प्रभाव डाला, सभी योजनाओं, आकांक्षाओं और भविष्य के सपनों को एक तरह से ठहरा दिया था। हमारी वार्षिक पारिवारिक आय 3 लाख रुपये से कम भी हो गई और तब से अब तक हमलोग वित्तीय रूप से उबरने में असमर्थ रहे हैं। मैं उस वक़्त स्कूल में पढ़ती थी और इस नुकसान के परिणामों से अनजान तो थी, लेकिन मैं यह समझ थी कि भविष्य में बहुत अधिक मेहनत की जरुरत होगी और संभवतः कई अवसर छूट भी सकते हैं। मैं अपने परिवार की एकलौती संतान हूं इसलिए, मेरे माता-पिता के भविष्य का ध्यान रखने की जिम्मेदारी मुझ पर थी।
IDFC First बैंक एमबीए छात्रवृत्ति कार्यक्रम ने आरुषि को भारत के सबसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में से एक में उच्च स्तर की शिक्षा प्राप्त करने में मदद की
- नाम – आरुषि अग्रवाल
- वर्तमान शिक्षा – एमबीए (प्रथम वर्ष)
- कैरियर आकांक्षा – कॉर्पोरेट स्ट्रेटेजी और प्लानिंग में लीडरशिप पोजीशन
- स्थान – मथुरा, उत्तर प्रदेश
- छात्रवृत्ति राशि – 2 लाख रुपये
बहरहाल, मेरे हर बढ़ते कदम पर मुझे यह आभास हो रहा था की मेरी शैक्षणिक यात्रा पर्याप्त वित्त की कमी के कारण कठिन होती जा रही है। चूंकि मुझे ग्रेजुएशन में उत्कृष्ट ग्रेड मिला है (मेरा विश्वविद्यालय रैंक 6/274 है), इसलिए मुझे कुछ वर्षों के लिए टाटा कम्युनिकेशंस में नौकरी मिली और मैंने अपने उच्च शिक्षा के सपनों पर रोक लगाई। आखिरकार, मेरा वेतन मेरे परिवार के लिए एक बड़ा सहारा था। जब मैंने आखिरकार आगे पढ़ने का फैसला किया, तो मुझे पहले प्रयास में ही आईआईएम अहमदाबाद मिला। मेरे पास इस प्रसिद्ध संस्थान से एमबीए करने के लिए एक दृढ़ इच्छाशक्ति थी और मैं जो भी पैसे इकठ्ठा करती उसे अपने कॉलेज की शुल्क भुगतान करने के लिए जमा करती थी। तभी मैंने आर्थिक परेशानी से जूझ रहे विद्यार्थियों के लिए IDFC FIRST बैंक एमबीए छात्रवृत्ति कार्यक्रम से अवगत हुई। मेरी आवेदन प्रक्रिया सुचारू थी और मुझे 2 लाख रुपये का अनुदान प्राप्त करने के लिए चुना गया था! यह अनुदान मेरे वर्तमान और भविष्य के लिए बहुत मायने रखता है।हमारे देश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। IDFC FIRST बैंक जैसे NGO द्वारा ईमानदार परोपकार जैसे प्रयासों की जरूरत है। समाज में इस तरह का एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए Akshaya Patra को बहुत बहुत धन्यवाद!