विभिन्न राज्यों की सरकारें अपने राज्य की जनता को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से अनेकों योजनाएं चलाती हैं, ताकि जनता इसके माध्यम से लाभान्वित होकर आगे बढ़ सके। ऐसी योजनाओं को लागू करने में सबसे बड़ी समस्या सरकार के सामने यह आती है, कि इस बात का निर्धारण कैसे किया जाए कि जिस व्यक्ति को लाभ प्रदान किया जा रहा है वह हमारे राज्य का ही है। ऐसी स्थिति में लाभ लेने के इच्छुक व्यक्ति द्वारा कुछ प्रमाण पत्रों को पेश करना आवश्यक होता है जिससे यह साबित हो सके कि वे सरकार द्वारा दिए जा रहे लाभ को लेने के लिए पूरी तरह से हक़दार है।
ऐसी कई योजनाएं हैं जो राज्य सरकार केवल अपने ही राज्य के नागरिकों को लाभ देने के लिए शुरू करती हैं। इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए व्यक्ति के पास उस राज्य का मूल निवासी प्रमाण पत्र होना चाहिए। मूल निवासी प्रमाण पत्र से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी के लिए लेख को अंत तक पढ़ें।
मूल निवासी प्रमाण पत्र क्या है?
मूल निवासी प्रमाण पत्र को अधिवास प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, Domicile Certificate भी कहा जाता है। यह एक ऐसा आधिकारिक दस्तावेज है जो आपके रहने के स्थान को दर्शाता है। यह राज्य सरकार / केंद्र शासित प्रदेश सरकार द्वारा जारी किया जाता है और व्यक्तियों को राज्य में कहीं भी रहने की अनुमति देता है। यह सर्टिफिकेट किसी भी जाति, वर्ग और वर्ग के लोग प्राप्त कर सकते हैं। यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है क्योंकि जहाँ कई राज्य छात्रवृत्ति, और परीक्षा कट-ऑफ राज्य के निवासियों के लिए आरक्षित हैं वहां अधिवास प्रमाण पत्र को प्रस्तुत कर उम्मीदवार इसका लाभ ले सकते हैं।
सरल शब्दों में, Domicile Certificate एक विशिष्ट राज्य के निवासी होने को प्रमाणित करता है। इसके अलावा, स्कूलों, शैक्षणिक संस्थानों और/या सरकारी संस्थानों में निवासी-आधारित आरक्षण प्राप्त करने में सहायता करता है। विद्यार्थी अपने मूल निवासी प्रमाण पत्र का उपयोग छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करने के लिए भी कर सकते हैं जो केवल राज्य के निवासियों के लिए उपलब्ध है। इसके अलावा, ऋण के लिए आवेदन करते समय निवास प्रमाण पत्र का उपयोग पते के प्रमाण के रूप में किया जा सकता है।
मूल निवासी प्रमाण पत्र – संक्षिप्त विवरण
विषय | मूल निवासी प्रमाण पत्र (Domicile Certificate) |
किसके द्वारा जारी | विभिन्न राज्यों के भिन्न प्राधिकारियों द्वारा |
वैद्यता | न्यूनतम 3 वर्ष या पूरे जीवन के लिए (राज्य के अनुसार) |
शुल्क | 10 रूपए से 500 रूपए तक (प्रत्येक राज्य के लिए भिन्न) |
बनने में लगा समय | 15 से 30 दिन के भीतर |
आवेदन | राज्य के ई-डिस्ट्रिक पोर्टल के माध्यम से |
मूल निवासी प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए आवश्यक दस्तावेज
मूल निवासी प्रमाण पत्र हेतु आवेदन के लिए आपको कुछ सहायक दस्तावेज संलग्न करने होंगे, जिसके बिना आपका आवेदन खारिज हो सकता है। संलग्न किए जाने वाले दस्तावेजों की सूची अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है। नीचे दिए गए अनिवार्य दस्तावेजों की एक सामान्य सूची है जिसे आपको अपने मूल निवासी प्रमाण पत्र आवेदन के साथ संलग्न करना होगा।
1. पहचान प्रमाण, जैसे
- आधार कार्ड
- वोटर आई कार्ड
- पैन कार्ड
- पासपोर्ट
- ड्राइविंग लाइसेंस
- राशन पत्रिका
- कोई अन्य सरकारी मान्यता प्राप्त दस्तावेज
2. निवास प्रमाण (आवेदक के लगातार 3 साल रहने का)
- आधार कार्ड
- बैंक पासबुक
- वोटर आई कार्ड
- बिजली का बिल
- पासपोर्ट
- टेलीफ़ोन बिल (लैंडलाइन)
- राशन पत्रिका
- रेंट एग्रीमेंट
- ड्राइविंग लाइसेंस
- कोई अन्य सरकारी मान्यता प्राप्त दस्तावेज
3. आवेदक की पासपोर्ट आकार की तस्वीर
4. आवेदन पत्र के साथ स्वप्रमाणित घोषणा पत्र
5. जन्म तिथि का प्रमाण, जैसे
- पासपोर्ट
- वोटर आई कार्ड
- विद्यालय छोड़ने का प्रमाणपत्र
- जन्म प्रमाणपत्र
6. तहसील या अदालत से एक शपथ पत्र
स्वप्रमाणित घोषणा पत्र / शपथ पत्र
2014 के बाद से सरकार द्वारा आम नागरिको को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से स्वप्रमाणित घोषणा पत्र की अनुमति दी गई। स्वप्रमाणित घोषणा पत्र के माध्यम से व्यक्ति द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है, कि पत्र में लिखी गई सभी बातें सत्य हैं। यदि उस पत्र में की गई घोषणाएं गलत पाई जाती है तो इसके लिए वह स्वयं जिम्मेदार होगा। यदि आप किसी तरह का ऑनलाइन आवेदन करते है तो आपको अनेकों जानकारियां देना होती हैं। यदि जानकारियों के सत्यापन के लिए सबूत न हो तब आपको स्वप्रमाणित घोषणा पत्र देना होता है, इस प्रमाण पत्र को शपथ पत्र कहा जाता है। इस प्रमाण पत्र को कानूनी मान्यता देने के लिए 10 रुपये का स्टाम्प पेपर में प्रस्तुत किया जाता है, तथा वैधता देने के लिए इसे नोटरी से भी प्रमाणित किया जाता है।
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स्वप्रमाणित घोषणा पत्र / शपथ पत्र का उपयोग
- आय के लिए
- आयु के लिए
- विकलांगता के लिए
- जाति के लिए
- निवास के लिए
- दुकान/मकान
- रोजगार के लिए
- चुनाव
आदि के सम्बन्ध में किया जा सकता है। यदि किसी भी प्रकार की जानकारी को साबित करने के लिए आपके पास कानूनी दस्तावेज़ न हो, तो उस स्थिति में घोषणा पत्र या शपथ पत्र प्रस्तुत किया जा सकता है। इसे कानूनी मान्यता/वैधता दोनों ही प्राप्त होती है। यदि आप निवास स्थान दर्शाना चाहते हैं लेकिन आपके पास इसे दर्शाने के लिए कोई सबूत न हो तो ऐसी स्थिति में उक्त राशि के लिए एक हलफनामा या शपथ पत्र प्रस्तुत किया जाता है। यह सभी व्यक्ति या विभाग को मान्य होता है।
मूल निवासी प्रमाण पत्र – पात्रता
एक अधिवास प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित पात्रता शर्तों में से एक को पूरा करना अनिवार्य है।
- आवेदक के माता -पिता को उस राज्य के स्थायी निवासी होना चाहिए।
- या आवेदक राज्य में कम से कम तीन साल से निवास कर रहा हो ।
- आवेदक को उस राज्य में एक संपत्ति/घर/भूमि का मालिक होना चाहिए।
- व्यक्ति का नाम उस राज्य की मतदाता सूची में होना चाहिए।
- महिला आवेदक एक अधिवास प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कर सकती हैं यदि वे उस राज्य के ऐसे व्यक्ति से शादी कर लें जो उस राज्य का निवासी है।
मूल निवासी प्रमाण पत्र – लाभ/उपयोग
Domicile Certificate की आवश्यकता कहां पड़ती है ? इस लेख के माध्यम से आपको इस सवाल का जवाब मिल जाएगा। स्कूल या कॉलेज में एडमिशन लेने, स्कॉलरशिप, सरकारी व गैर सरकारी नौकरी, पासपोर्ट बनवाने में मूल निवासी प्रमाण पत्र की आवश्यकता पड़ती है। इसके अलावा यदि आप कोई लोन लेना चाहते हैं तो आपके पास ये प्रमाण पत्र होना बहुत ही जरूरी है।
कौन सा प्राधिकरण मूल निवासी प्रमाण पत्र जारी करता है?
मूल निवासी प्रमाण पत्र संबंधित राज्य सरकार द्वारा जारी किए जाते हैं, प्रत्येक राज्य सरकार / केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया निर्धारित की है। प्रमाण पत्र जारी करने के लिए प्रत्येक राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन के पास कुछ प्रक्रियाएं हैं। निम्नलिखित अधिकारियों द्वारा निर्धारित प्रारूप में जारी मूल निवासी प्रमाण पत्र को सरकार द्वारा मान्य माना जाता है।
- तहसीलदार कार्यालय
- राजस्व कार्यालय
- कलेक्टर/ डिप्टी कलेक्टर कार्यालय
- एसडीएम कार्यालय
- जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय
- मामलातदार ऑफिस
- सिटीजन सर्विस कार्नर (CSC)
- रजिस्ट्रार/ उप-रजिस्ट्रार कार्यालय
मूल निवासी प्रमाण पत्र कैसे बनवाएं
- ऑनलाइन
- ऑफलाइन
मूल निवासी प्रमाण पत्र बनवाने के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन इन दोनों ही तरीकों से आवेदन प्रस्तुत किया जा सकता है। अगर आप ऑनलाइन Domicile Certificate बनवाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको कुछ दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है, जिनकी जानकारी लेख को पढ़कर प्राप्त कर सकते हैं। ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया निम्नानुसार है।
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ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया
Domicile Certificate बनवाने के लिए सबसे पहले जिस प्रदेश में आप रह रहे हैं उस प्रदेश की ई- डिस्ट्रिक वेबसाइट पर जाना होता है। इसके लिए हर प्रदेश की वेबसाइट अलग-अलग है। जैसे उत्तर प्रदेश के लिए अलग वेबसाइट होगी, बिहार राज्य के लिए अलग है।
- संबंधित राज्य की वेबसाइट के पोर्टल पर जाएं, इसके बाद पोर्टल पर क्लिक करेंगें तो सिटीजन पोर्टल का पेज ओपन हो जाएगा। इस पेज पर आपको लॉगिन का विकल्प मिलेगा।
- अगर आप पहले से ही वेबसाइट के सदस्य हैं तो आप अपनी आईडी और पासवर्ड डालकर आसानी से लॉगिन कर सकते हैं, लेकिन अगर आप नए सदस्य है तो पहले आपको इसका सदस्य बनना होगा यानि इसके लिए रजिस्ट्रेशन करना होगा। रजिस्ट्रेशन के ऑप्शन पर क्लिक करते ही एक फॉर्म सामने खुलेगा। इसमें आवेदक का नाम, जन्मतिथि, लिंग, आवासीय पता इत्यादि जानकारी भरें।
- इस स्टेप के बाद आपको नीचे दिए ‘सुरक्षित करें’ पर क्लिक करके रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी करना है। गलती होने पर ‘रिसेट’ पर क्लिक कर आप इस फॉर्म को दोबारा भर सकते हैं।
- सेव करने के बाद आपको अपनी ईमेल आईडी और फोन पर यूजर नेम और पासवर्ड मिल जाएगा। इसे डालकर आप लॉगिन कर सकते हैं।
- लॉगिन करने के बाद एक नया पेज ओपन होगा जिस पर एक विकल्प नजर आएगा, विकल्प की सहायता से आप मूल निवासी प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कर सकते हैं।
- इस दौरान जो फॉर्म ओपन होगा उसकी सभी जानकारी सही-सही भरें। जानकारी देने के बाद आपको अपने जरूरी डॉक्यूमेंट्स को भी अपलोड करना होगा जैसे, कि अपना पहचान पत्र, आधार, वोटर और राशन कार्ड, स्वप्रमाणित घोषणा पत्र आदि।
- डॉक्यूमेंट्स अपलोड हो जाने के बाद सब्मिट बटन पर क्लिक कर दें। इसके बाद आपको एक आवेदन संख्या मिलेगी, इसे सेव कर लें। इसके बाद आपको वहां बताया शुल्क जमा करना होगा।
- ऐसा करने के बाद Domicile Certificate का आवेदन पूरा हो जाता है।
आवेदन के कुछ दिन बाद प्रमाण पत्र बन जाता है। इस प्रमाण पत्र को आप अपने यूजर नेम और पासवर्ड की मदद से आसानी से ऑनलाइन डाउनलोड कर सकते हैं। यह ध्यान रखना होगा कि हर राज्य के मूल निवासी प्रमाण पत्र बनाने का पोर्टल और तरीका एक दूसरे से भिन्न है। इसलिए, पोर्टल पर दिए गए निर्देशों के अनुसार आवेदन करें। इस संबंध में पूरी जानकारी आपको पोर्टल पर आसानी से मिल जाती है।
विभिन्न भारतीय राज्यों में मूल निवासी प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने हेतु प्राधिकरणों के ऑफिशियल पोर्टल
क्रमांक | भारतीय राज्य | प्राधिकारी | ऑफिशियल पोर्टल |
1 | आंध्र प्रदेश | तहसीलदार | यहाँ क्लिक करें |
2 | अरुणाचल प्रदेश | जिला मजिस्ट्रेट और कलेक्टर | यहाँ क्लिक करें |
3 | असम | राजस्व अंचल अधिकारी | यहाँ क्लिक करें |
4 | बिहार | अंचल कार्यालय के अंचल अधिकारी | यहाँ क्लिक करें |
5 | छत्तीसगढ़ | नायब तहसीलदार | यहाँ क्लिक करें |
6 | गोवा | सभी तालुका के मामलातदार | यहाँ क्लिक करें |
7 | गुजरात | जिला कलेक्टर / डिप्टी कलेक्टर / सहायक। कलेक्टर / प्रान्त अधिकारी / मामलातदार | यहाँ क्लिक करें |
8 | हरियाणा | सीआरओ (तहसीलदार / नायब तहसीलदार संबंधित) | यहाँ क्लिक करें |
9 | हिमाचल प्रदेश | राजस्व विभाग के तहसीलदार | यहाँ क्लिक करें |
10 | जम्मू और कश्मीर | उप-मंडल मजिस्ट्रेट (तहसीलदार के पद से नीचे का नहीं) | यहाँ क्लिक करें |
11 | झारखंड | प्रत्येक जिले में अनुमंडल पदाधिकारी | यहाँ क्लिक करें |
12 | कर्नाटक | तहसीलदार | यहाँ क्लिक करें |
13 | केरल | ग्राम अधिकारी (यदि राज्य सरकार के विभागों या प्राधिकरणों के समक्ष पेश किया जाता है) / तहसीलदार (यदि केंद्र सरकार के विभागों या प्राधिकरणों के समक्ष पेश किया जाता है) | यहाँ क्लिक करें |
14 | मध्य प्रदेश | तहसीलदार / नायब तहसीलदार | यहाँ क्लिक करें |
15 | महाराष्ट्र | तहसीलदार | यहाँ क्लिक करें |
16 | मणिपुर | जिला प्राधिकरण i/c DC/ADC/SDO (SDO/SDM के पद से नीचे नहीं) | यहाँ क्लिक करें |
17 | मेघालय | सरकार के मामले में नियोक्ता। कर्मचारी और अन्य के मामले में सांसद / विधायक / डीसी / एसडीओ सिविल द्वारा। | यहाँ क्लिक करें |
18 | मिजोरम | जिला मजिस्ट्रेट या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा अधिकृत कोई अन्य अधिकारी | यहाँ क्लिक करें |
19 | नागालैंड | उप.आयुक्त, अपर.उप.आयुक्त और उप-मंडल अधिकारी (सी) | यहाँ क्लिक करें |
20 | ओडिशा | राजस्व अधिकारी | यहाँ क्लिक करें |
21 | पंजाब | सीआरओ (तहसीलदार / नायब तहसीलदार संबंधित) | यहाँ क्लिक करें |
22 | राजस्थान | तहसीलदार / नोटरी | यहाँ क्लिक करें |
23 | सिक्किम | विशेष कार्यकारी मजिस्ट्रेट (प्रखंड विकास अधिकारी, ग्रामीण प्रबंधन एवं विकास विभाग) | यहाँ क्लिक करें |
24 | तमिलनाडु | जोनल डिप्टी तहसीलदार | यहाँ क्लिक करें |
25 | त्रिपुरा | संबंधित जिलों के उपायुक्त | यहाँ क्लिक करें |
26 | तेलंगाना | तहसीलदार | यहाँ क्लिक करें |
27 | उत्तर प्रदेश | तहसीलदार | यहाँ क्लिक करें |
28 | उत्तरांचल | तहसीलदार/एसडीएम/सिटी मजिस्ट्रेट | यहाँ क्लिक करें |
29 | पश्चिम बंगाल | क्षेत्रानुसार | यहाँ क्लिक करें |
भारत के विभिन्न केंद्र शासित प्रदेशों में मूल निवासी प्रमाण पत्र जारी करने वाले प्राधिकरण | |||
1 | अंडमान और निकोबार | तहसीलदार | यहाँ क्लिक करें |
2 | दादरा और नगर हवेली | मामलातदार | यहाँ क्लिक करें |
3 | चंडीगढ़ | सब डिविजनल मजिस्ट्रेट | यहाँ क्लिक करें |
4 | दिल्ली | सरकार के उप-मंडल मजिस्ट्रेट (एसडीएम)। दिल्ली के एनसीटी के | यहाँ क्लिक करें |
5 | लक्षद्वीप | अगत्ती व मिनिकॉय में डिप्टी कलेक्टर और शेष द्वीपों में एसडीओ | यहाँ क्लिक करें |
6 | पांडिचेरी | तहसीलदार, उप तहसीलदार | यहाँ क्लिक करें |
7 | दमन, दीव | मामलातदार दमन, मामलातदार दीव | यहाँ क्लिक करें |
मूल निवासी प्रमाण पत्र कैसे बनवाएं? इंग्लिश में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।
ऑफलाइन आवेदन की प्रक्रिया
भारत में मूल निवासी प्रमाण पत्र ऑनलाइन या राजस्व विभाग के स्थानीय कार्यालय या एसडीएम कार्यालय से लिया जा सकता है। जब किसी विशेष परिवार को पहली बार प्रमाण पत्र जारी किया जाता है तो स्थानीय जांच की जाती है। ऑफलाइन मूल निवासी प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आपको सबसे पहले फॉर्म लेना होगा। आप फॉर्म अपने तहसील या एसडीएम कार्यालय, रेवेन्यू ऑफिस या कलेक्टर ऑफिस से प्राप्त कर सकते हैं। उसमे पूछी गई सारी जानकारी सही-सही भरें और कार्यालय में जमा कर दें। आपको अपने जरूरी डॉक्यूमेंट्स भी जमा करने अनिवार्य हैं। आपके दस्तावेज सत्यापित होने के बाद आपका प्रमाण पत्र जारी कर दिया जायेगा। फार्म के लिए आपको फीस भी देनी होगी जिसकी रसीद दी जाती है। आपको जो रसीद दी गई है उस पर वह तारीख होती है जिस दिन आपको प्रमाण पत्र मिलना है। उसी दिन कार्यालय जाकर अपना प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकते हैं।
मूल निवासी प्रमाण-पत्र ऑनलाइन डाउनलोड करने की प्रक्रिया
- सबसे पहले आपको अपने राज्य की ई-डिस्टिक की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाना होगा।
- वेबसाइट पर जाने के बाद आपके सामने होम पेज खुलेगा।
- होम पेज पर सिटीजन के सेक्शन में जाएं।
- यहां Domicile Certificate Download के विकल्प पर क्लिक करें।
- क्लिक करने के बाद आपके सामने एक नया पेज खुलेगा।
- इस पेज पर आपको पूछी गई सभी जानकारी दर्ज करनी होगी।
- सभी जानकारी दर्ज करने के बाद डाउनलोड के बटन पर क्लिक करें।
- इस प्रकार आप प्रमाण पत्र डाउनलोड कर सकते हैं।
मूल निवासी प्रमाण पत्र की वैधता
मूल निवासी प्रमाण पत्र की वैधता अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है। आमतौर पर, मूल निवासी प्रमाण पत्र व्यक्ति के पूरे जीवन के लिए वैध रहता है। हालाँकि, कुछ राज्यों में, वैधता निश्चित समय अवधि तक सीमित है, अर्थात 3 वर्ष। मूल निवासी प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाले व्यक्ति प्रमाण पत्र पर ही इसकी वैधता का उल्लेख देख सकते हैं। साथ ही, व्यक्तियों को इसकी वैधता सुनिश्चित करने के लिए संबंधित तहसील या एसडीएम कार्यालय से अपना मूल निवासी प्रमाण पत्र सत्यापित करना आवश्यक है।
Domicile Certificate बनने की समयावधि
मूल निवासी प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने के समय से लेकर 15 से 30 दिन के समय अंतराल में प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। यदि न्यूनतम समय देखा जाए तो 15 दिन और यदि अधिकतम समय देखा जाए तो 30 दिन भी लग सकते हैं।
मूल निवासी प्रमाण पत्र – आवेदन शुल्क
मूल निवासी प्रमाण पत्र या Domicile certificate बनवाने के लिए आवेदन करते समय आवेदक को केवल छोटी सी राशि भुगतान करनी होती है जो कि ना के बराबर है। यह राशि प्रत्येक राज्य में आवेदन के लिए अलग-अलग हो सकती है।
अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल
मूल निवासी प्रमाण पत्र के लिए कौन आवेदन कर सकता है?
एक व्यक्ति मूल निवासी प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कर सकता है यदि वे किसी दिए गए राज्य में तीन साल से अधिक समय से रहते हैं या यदि उनके माता -पिता तीन साल से अधिक समय से वहां रहते हैं। बिताए गए समय की शर्त प्रत्येक राज्य के मामले में भिन्न हो सकती है।
कौन एक अधिवास/मूल निवासी प्रमाण पत्र जारी कर सकता है?
तहसीलदार, राजस्व कार्यालय, एसडीएम, कलेक्टर कार्यालय, डिप्टी कलेक्टर कार्यालय, जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय, और अन्य राज्य/यूटी अधिकारी एक अधिवास प्रमाण पत्र जारी कर सकते हैं।
एक अधिवास प्रमाण पत्र का उपयोग कहां किया जा सकता है?
एक अधिवास प्रमाण पत्र निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए उपयोगी हो सकता है:
राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही छात्रवृत्ति योजनाओं के लाभ के लिए। रेसिडेंट कोटा के तहत सरकारी नौकरियों या शैक्षिक संस्थानों में आरक्षण लाभ के लिए। लोन लेने के लिए आदि।
क्या आधार कार्ड का उपयोग अधिवास प्रमाण पत्र के स्थान पर किया जा सकता है?
नहीं, क्योंकि एक आधार कार्ड मुख्य रूप से निवास के बजाय पहचान प्रमाण है, इसका उपयोग अधिवास प्रमाण पत्र के रूप में नहीं किया जा सकता है।
एक अधिवास प्रमाण पत्र की वैधता क्या है?
ज्यादातर मामलों में, Domicile Certificate जीवनभर के लिए मान्य है। हालांकि, जिस उद्देश्य के लिए इसका अनुरोध किया जाता है, उसके आधार पर, कई राज्य अधिकारियों ने इसकी वैधता को सीमित कर दिया है। एक अधिवास प्रमाणपत्र की न्यूनतम वैधता 6 महीने है।